Sno. |
संस्कृत नाम |
मंत्र |
अर्थ |
1 |
श्रीराम
|
ॐ श्रीरामाय नमः । |
जिनमें योगीजन रमण करते हैं |
2 |
रामचन्द्र
|
ॐ रामभद्राय नमः । |
चंद्रमा के समान आनन्दमयी एवं मनोहर राम |
3 |
रामभद्र |
ॐ रामचंद्राय नमः । |
कल्याणमय राम |
4 |
शाश्वत |
ॐ शाश्वताय नमः । |
सनातन राम |
5 |
राजीवलोचन |
ॐ राजीवलॊचनाय नमः । |
कमल के समान नेत्रोंवाले |
6 |
श्रीमान् राजेन्द्र |
ॐ राजॆंद्राय नमः । |
श्री सम्पन्न राजाओं के भी राजा, चक्रवर्ती सम्राट |
7 |
रघुपुङ्गव |
ॐ रघुपुंगवाय नमः । |
रघुकुल में श्रेष्ठ |
8 |
जानकीवल्लभ |
ॐ जानकीवल्लभाय नमः । |
जनककिशोरी सीता के प्रियतम |
9 |
जैत्र |
ॐ चैत्राय नमः । |
विजयशील |
10 |
जितामित्र |
ॐ जितमित्राय नमः । |
शत्रुओं को जीतनेवाला |
11 |
जनार्दन |
ॐ जनार्दनाय नमः । |
सम्पूर्ण मनुष्यों द्वारा याचना करने योग्य |
12 |
विश्वामित्रप्रिय |
ॐ विश्वामित्र प्रियाय नमः । |
विश्वामित्रजी के प्रियतम |
13 |
दांत |
ॐ दांताय नमः । |
जितेंद्रिय |
14 |
शरण्यत्राणतत्पर |
ॐ शरण्यत्राणतत्पराय नमः । |
शरणागतों के रक्षा में तत्पर |
15 |
बालिप्रमथन |
ॐ वालिप्रमथनाय नमः । |
बालि नामक वानर को मारनेवाले |
16 |
वाग्मी |
ॐ वाग्मिनॆ नमः । |
अच्छे वक्ता |
17 |
सत्यवाक् |
ॐ सत्यवाचॆ नमः । |
सत्यवादी |
18 |
सत्यविक्रम |
ॐ सत्यविक्रमाय नमः । |
सत्य पराक्रमी |
19 |
सत्यव्रत |
ॐ सत्यव्रताय नमः । |
सत्य का दृढ़ता पूर्वक पालन करनेवाले |
20 |
०व्रतफल |
ॐ व्रतधराय नमः । |
सम्पूर्ण व्रतों के प्राप्त होने योग्य फलस्वरूप |
21 |
सदा हनुमदाश्रय
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ॐ सदाहनुमदाश्रिताय नमः । |
निरंतर हनुमान जी के आश्रय |
22 |
कौसलेय
|
ॐ कौसलॆयाय नमः । |
कौसल्याजी के पुत्र |
23 |
खरध्वंसी |
ॐ खरध्वंसिनॆ नमः । |
खर नामक राक्षस का नाश करनेवाले |
24 |
विराधवध |
ॐ विराधवधपंडिताय नमः । |
विराध नामक दैत्य का वध करने में कुशल |
25 |
विभीषण-परित्राता |
ॐ विभीषणपरित्राणाय नमः । |
विभीषण के रक्षक |
26 |
दशग्रीवशिरोहर |
ॐ हरकॊदंडखंडनाय नमः । |
दशशीश रावण के मस्तक काटनेवाले |
27 |
सप्ततालप्रभेता |
ॐ सप्तताळप्रभॆत्त्रॆ नमः । |
सात ताल वृक्षों को एक ही बाण से बींध डालनेवाले |
28 |
हरकोदण्ड-खण्डन |
ॐ दशग्रीवशिरॊहराय नमः । |
जनकपुर में शिवजी के धनुष को तोड़नेवाले |
29 |
जामदग्न्यमहादर्पदलन |
ॐ जामदग्न्यमहादर्प दळनाय नमः । |
परशुरामजी के महान अभिमान को चूर्ण करनेवाले |
30 |
०ताडकान्तकृत |
ॐ ताटकांतकाय नमः । |
ताड़का नामवाली राक्षसी का वध करनेवाले |
31 |
वेदान्तपार |
ॐ वॆदांतसाराय नमः । |
वेदान्त के पारंगत विद्वान अथवा वेदांत से भी अतीत |
32 |
वेदात्मा |
ॐ वॆदात्मनॆ नमः । |
वेदस्वरूप |
33 |
भवबन्धैकभेषज |
ॐ भवरॊगैकस्यभॆषजाय नमः । |
संसार बन्धन से मुक्त करने के लिये एकमात्र औषधरूप |
34 |
दूषणप्रिशिरोsरि |
ॐ दूषणत्रिशिरॊहंत्रॆ नमः । |
दूषण और त्रिशिरा नामक राक्षसों के शत्रु |
35 |
त्रिमूर्ति |
ॐ त्रिमूर्तयॆ नमः । |
ब्रह्मा,विष्णु और शिव तीन रूप धारण करनेवाले |
36 |
त्रिगुण |
ॐ त्रिगुणात्मकाय नमः । |
त्रिगुणस्वरूप अथवा तीनों गुणों के आश्रय |
37 |
त्रयी |
ॐ त्रियी नमः । |
तीन वेदस्वरूप |
38 |
त्रिविक्रम |
ॐ त्रिविक्रमाय नमः । |
वामन अवतार में तीन पगों से समस्त त्रिलोकीको नाप लेनेवाले |
39 |
त्रिलोकात्मा |
ॐ त्रिलॊकात्मनॆ नमः । |
तीनों लोकों के आत्मा |
40 |
०पुण्यचारित्रकीर्तन |
ॐ पुण्यचारित्रकीर्तनाय नमः । |
जिनकी लीलाओं का कीर्तन परम पवित्र हैं, ऐसे |
41 |
त्रिलोकरक्षक |
ॐ त्रिलॊकरक्षकाय नमः । |
तीनों लोकोंकी रक्षा करनेवाले |
42 |
धन्वी |
ॐ धन्विनॆ नमः । |
धनुष धारण करनेवाले |
43 |
दण्डकारण्यवासकृत् |
ॐ दंडकारण्यकर्तनाय नमः । |
दण्डकारण्य में निवास करनेवाले |
44 |
अहल्यापावन |
ॐ अहल्याशापशमनाय नमः । |
अहल्याको पवित्र करनेवाले |
45 |
पितृभक्त |
ॐ पितृभक्ताय नमः । |
पिता के भक्त |
46 |
वरप्रद |
ॐ वरप्रदाय नमः । |
वर देनेवाले |
47 |
जितेन्द्रिय |
ॐ जितॆंद्रियाय नमः । |
इन्द्रियों को काबू में रखनेवाले |
48 |
जितक्रोध |
ॐ जितक्रॊधाय नमः । |
क्रोध को जीतनेवाले |
49 |
जितलोभ |
ॐ जितमित्राय नमः । |
लोभ की वृत्ति को परास्त करनेवाले |
50 |
०जगद्गुरु |
ॐ जगद्गुरवॆ नमः । |
अपने आदर्श चरित्रोंसे सम्पूर्ण जगत् को शिक्षा देनेके कारण सबके गुरु |
51 |
ऋक्षवानरसंघाती
|
ॐ यक्षवानरसंघातिनॆ नमः । |
वानर और भालुओं की सेना का संगठन करनेवाले |
52 |
चित्रकूट–समाश्रय |
ॐ चित्रकूटसमाश्रयाय नमः । |
वनवास के समय चित्रकूट पर्वत पर निवास करनेवाले |
53 |
जयन्तत्राणवरद |
ॐ जयंतत्राणवरदाय नमः । |
जयन्त के प्राणों की रक्षा करके उसे वर देनेवाले |
54 |
सुमित्रापुत्र- सेवित |
ॐ सुमित्रापुत्रसॆविताय नमः । |
सुमित्रानन्दन लक्ष्मण के द्वारा सेवित |
55 |
सर्वदेवाधिदेव |
ॐ सर्वदॆवाधिदॆवाय नमः । |
सम्पूर्ण देवताओं के भी अधिदेवता |
56 |
मृतवानरजीवन |
ॐ मृतवानरजीवनाय नमः । |
मरे हुए वानरों को जीवित करनेवाले |
57 |
मायामारीचहन्ता
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ॐ मायामारीचहंत्रॆ नमः । |
मृग का रूप में आये हुए मारीच नामक राक्षस का वध करनेवाले |
58 |
महाभाग
|
ॐ महादॆवाय नमः । |
महान सौभाग्यशाली |
59 |
महाभुज |
ॐ महाभुजाय नमः । |
बड़ी बड़ी बाँहोंवाले |
60 |
०सर्वदेवस्तुत |
ॐ सर्वदॆवस्तुताय नमः । |
सम्पूर्ण देवता जिनकी स्तुति करते हैं, ऐसे |
61 |
सौम्य |
ॐ स्ॐयाय नमः । |
शांतस्वभाव |
62 |
ब्रह्मण्य |
ॐ ब्रह्मण्याय नमः । |
ब्राह्मणों के हितैषी |
63 |
मुनिसत्तम |
ॐ मुनिसंस्तुताय नमः । |
मुनियोंमे श्रेष्ठ |
64 |
महायोगी |
ॐ महायॊगिनॆ नमः । |
सम्पूर्ण योगोंके अधीष्ठान होने के कारण महान योगी |
65 |
महोदर |
ॐ महॊदराय नमः । |
परम उदार |
66 |
सुग्रीवस्थिर-राज्यपद |
ॐ सुग्रीवॆप्सितराज्यदाय नमः । |
सुग्रीव को स्थिर राज्य प्रदान करनेवाले |
67 |
सर्वपुण्याधिकफलप्रद |
ॐ सर्वपुण्याधिकफलाय नमः । |
सम्स्त पुण्यों के उत्कृष्ट फलरूप |
68 |
स्मृतसर्वाघनाशन |
ॐ स्मृतसर्वाघनाशनाय नमः । |
स्मरण करनेमात्र से ही सम्पूर्ण पापों का नाश करनेवाले |
69 |
आदिपुरुष |
ॐ आदिपुरुषाय नमः । |
ब्रह्माजीको भी उत्पन्न करनेके कारण सब के आदिभूत अन्तर्यामी परमात्मा |
70 |
०महापुरुष |
ॐ परम पुरुषाय नमः । |
समस्त पुरुषों मे महान |
71 |
परम |
ॐ महापुरुषाय नमः । |
सर्वोत्कृष्ट पुरुष |
72 |
पुण्योदय |
ॐ पुण्यॊदयाय नमः । |
पुण्य को प्रकट करनेवाले |
73 |
महासार |
ॐ दयासाराय नमः । |
सर्वश्रेष्ठ सारभूत परमात्मा |
74 |
पुराणपुरुषोत्तम |
ॐ पुराणपुरुषॊत्तमाय नमः । |
पुराणप्रसिद्ध क्षरअक्षर पुरुषोंसे श्रेष्ठ लीलापुरुषोत्तम |
75 |
स्मितवक्त्र |
ॐ स्मितवक्त्राय नमः । |
जिनके मुखपर सदा मुस्कानकी छटा छायी रहती है, ऐसे |
76 |
मितभाषी |
ॐ मितभाषिणॆ नमः । |
कम बोलनेवाले |
77 |
पूर्वभाषी |
ॐ पूर्वभाषिणॆ नमः । |
पूर्ववक्ता |
78 |
राघव |
ॐ राघवाय नमः । |
रघुकुल में अवतीर्ण |
79 |
अनन्तगुण गम्भीर |
ॐ अनंतगुणगंभीराय नमः । |
अनन्त कल्याणमय गुणों से युक्त एवं गम्भीर |
80 |
०धीरोदात्तगुणोत्तर |
ॐ धीरॊदात्तगुणॊत्तराय नमः । |
धीरोदात्त नायकके लोकोतर गुणों से युक्त |
81 |
मायामानुषचारित्र |
ॐ मायामानुषचारित्राय नमः । |
अपनी मायाका आश्रय लेकर मनुष्योंकीसी लीलाएँ करनीवाले |
82 |
महादेवाभिपूजित |
ॐ महादॆवादिपूजिताय नमः । |
भगवान शंकर के द्वारा निरन्तर पूजित |
83 |
सेतुकृत |
ॐ सॆतुकृतॆ नमः । |
समुद्रपर पुल बाँधनेवाले |
84 |
जितवारीश |
ॐ जितवाराशयॆ नमः । |
समुद्रको जीतनेवाले |
85 |
सर्वतीर्थमय |
ॐ सर्वतीर्थमयाय नमः । |
सर्वतीर्थस्वरूप |
86 |
हरि |
ॐ हरयॆ नमः । |
पापताप को हरनेवाले |
87 |
श्यामाङ्ग |
ॐ श्यामांगाय नमः । |
श्याम विग्रहवाले |
88 |
सुन्दर |
ॐ सुंदराय नमः । |
परम मनोहर |
89 |
शूर |
ॐ शूराय नमः । |
अनुपम शौर्यसे सम्पन्न वीर |
90 |
०पीतवासा |
ॐ पीतवासाय नमः । |
पीताम्बरधारी |
91 |
धनुर्धर |
ॐ धनुर्धराय नमः । |
धनुष धारण करनेवाले |
92 |
सर्वयज्ञाधिप |
ॐ सर्वयज्ञाधिपाय नमः । |
सम्पूर्ण यज्ञों के स्वामी |
93 |
यज्ञ |
ॐ यज्ञाय नमः । |
यज्ञ स्वरूप |
94 |
जरामरणवर्जित |
ॐ जरामरणवर्जिताय नमः । |
बुढ़ापा और मृत्यु से रहित |
95 |
शिवलिंगप्रतिष्ठाता |
ॐ विभीषण प्रतिष्ठात्रॆ नमः । |
रामेश्वर नामक ज्योतिर्लिंग की स्थापना करनेवाले |
96 |
सर्वाघगणवर्जित |
ॐ सर्वापगुणवर्जिताय नमः । |
समस्त पापराशियों से रहित |
97 |
परमात्मा |
ॐ परमात्मनॆ नमः । |
परमश्रेष्ठ, नित्यशुद्ध-बुद्ध –मुक्तस्वरूपा |
98 |
परं ब्रह्म |
ॐ परस्मैब्रह्मणॆ नमः । |
सर्वोत्कृष्ट, सर्वव्यापी एवं सर्वाधिष्ठान परमेश्वर |
99 |
सच्चिदानन्दविग्रह
|
ॐ सच्चिदानंदविग्रहाय नमः । |
सत्, चित् और आनन्द ही जिनके स्वरूप का निर्देश करानेवाला है |
100 |
०परं ज्योति
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ॐ परस्मैज्यॊतिषॆ नमः । |
परम प्रकाशमय,परम ज्ञानमय |
101 |
परं धाम |
ॐ परस्मैधाम्नॆ नमः । |
सर्वोत्कृष्ट तेज अथवा साकेतधामस्वरूप |
102 |
पराकाश |
ॐ पराकाशाय नमः । |
त्रिपाद विभूतिमें स्थित परमव्योम नामक वैकुण्ठधामरूप, महाकाशस्वरूप ब्रह्म |
103 |
परात्पर |
ॐ परात्परस्मै नमः । |
पर इन्द्रिय, मन, बुद्धि आदि से भी परे परमेश्वर |
104 |
परेश |
ॐ परॆशाय नमः । |
सर्वोत्कृष्ट शासक |
105 |
पारग |
ॐ पारगाय नमः । |
सबकोपार लगानेवाले अथवा मायामय जगत की सीमा से बाहर रहनेवाले |
106 |
पार
|
ॐ पाराय नमः । |
भवसागर से पार जाने की इच्छा रखनेवाले प्राणियों के प्राप्तव्य परमात्मा |
107 |
सर्वभूतात्मक |
ॐ सर्वदॆवात्मकाय नमः । |
सर्वभूतस्वरूप |
108 |
शिव |
ॐ परस्मै नमः । |
परम कल्याणमय |